नेताजी का चश्मा

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नेताजी का चश्मा by Mind Map: नेताजी का चश्मा

1. संदेष:

1.1. प्रस्तुत कहानी के माध्यम से लेखक स्वयं प्रकाश ने बताना चाहा है कि वह भू-भाग जो सीमाओं से घिरा हुआ है, देश नहीं कहलाता है। बल्कि इसके अंदर रहने वाले प्राणियों, जीव-जन्तुओं, पेड़-पौधों, नदियों-पहाड़ों, प्राकृतिक सौंदर्य आदि में तारतम्यता स्थापित होने से देश बनता है और इन सबको समृदध करने व इन सबसे प्रेम करने की भावना को ही देश-प्रेम कहते हैं। कैप्टन चश्मे वाले के माध्यम से लेखक ने उन करोड़ों देशवासियों के योगदान को सजीव रूप प्रदान किया है जो किसी न किसी तरीके से इस देश के निर्माण में अपना योगदान देते हैं। ऐसा नहीं है कि केवल बड़े ही देश-निर्माण में सहायक होते हैं, बच्चे भी इस पुण्य-कर्म में अपना योगदान देते हैं।

2. नगरपालिका के कार्य

2.1. कस्बे की नगरपालिका लोगों के हित के लिए कार्य करती थी।नगर पालिका ने इस कस्बे में सड़कों का निर्माण करवाया था तथा चबूतरे, पेशाबघर एवं नेताजी की संगमरमर की प्रतिमा आदि विशेष कार्य किए थे।

3. मुख्य पात्र:

3.1. १) हालदार साहब २) पानवाला ३) कप्तान चश्मेवाला

4. हालदार साहब का चरित्र चित्रण :

4.1. हालदार साहब इस कहानी के मुख्य पात्र हैं। यह कहानी नेताजी का चश्मा उन्हीं के इर्द-गिर्द घूमता नजर आता है। हालदार साहब एक पक्के देशभक्त, कर्तव्यनिष्ठ, भावुक और अपने काम के प्रति इमानदार व्यक्ति हैं। इतना ही नहीं वह शौकीन भी है। जब भी चौराहे से गुजरते हैं तो पान खाना नहीं भूलते।

4.2. हालदार साहब एक पक्के देशभक्त हैं। देश पर शहीद होने वाले नेताओं के प्रति उनके मन में गहरी श्रद्धा है। इसीलिए वह चौराहे से गुजरते हैं तो कस्बे के चौराहे पर लगे नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिम को गौर से देखते हैं और उनके प्रति श्रद्धा भाव रखते हैं।

4.3. हालदार साहब अपने कर्तव्य के प्रति इमानदार है। वे अपने काम से जाते हैं लेकिन इसके साथ हैं वह पान खाने के शौकीन भी हैं । हालदार साहब एक भावुक व्यक्ति हैं। उनके हृदय में भावनाएं हिलोरें मारती हैं। जब पान वाले ने कैप्टन के प्रति अच्छे शब्दों का प्रयोग नहीं किया तो उन्हें दुख होता है । जब यह सुनते हैं कि कैप्टन की मृत्यु हो गई तो वह दुखी होते हैं, लेकिन जब उन्हें पता चलता है कि हमारे देश के बच्चों में भी देश पर शहीद होने वाले के प्रति अपार श्रद्धा है तो उनकी आंखों में आंसू आ जाते हैं। उन्हें लगता है , हमारे देश के भावी पीढ़ी में अभी देशभक्ति की भावना है।

5. सारांश:

5.1. प्रस्तुत कहानी द्वारा समाज में देश प्रेम की भावना को जागृत किया गया है। पाठ का नायक ‘कैप्टन’ साधारण व्यक्ति होने के बावजूद भी एक देशभक्त नागरिक है। वह कभी नेताजी को बिना चश्मे के नहीं रहने देता है। इस कहानी द्वारा लेखक चाहता है कि देशवासी लोगों की कुर्बानियों को न भूलें और उन्हें उचित सम्मान दें।

6. लेखक:

6.1. स्वयं प्रकाश

7. मूर्ती की विशेषता :

7.1. उस मूर्ति की विशेषता यह थी कि मूर्ति संगमरमर की थी। टोपी की नोक से कोट के दूसरे बटन तक कोई दो फुट ऊँची और सुंदर थी। ... केवल एक चीज की कसर थी जो देखते ही खटकती थी नेताजी की आँख पर संगमरमर चश्मा नहीं था बल्कि उसके स्थान पर सचमुच के चश्मे का चौड़ा काला फ्रेम मूर्ति को पहना दिया गया था।

8. पानवाले का चरित्र चित्रण :

8.1. पानवाले के मन में देश और देश के नेताओं के प्रति आदर सम्मान नहीं था। उसे तो अपना पान बेचने के लिए कोई न कोई मसाला चाहिए था। यदि ऐसे लोग देश के लिए कुछ कर नहीं सकते तो उन्हें किसी की हँसी उड़ाने का भी अधिकार नहीं हे। कैप्टन जैसे भी व्यक्तित्व का स्वामी था उससे उसकी देश के प्रति कर्त्तव्य भावना कम नहीं होती थी।

9. कैप्टन का चरित्र चित्रण:

9.1. कैप्टन चश्मा बेचने वाला एक लंगड़ा व्यक्ति है जो घूम घूम कर कस्बे में चश्मा बेचता है। कैप्टन इस कहानी का एक ऐसा पात्र है जिसका चरित्र देश भक्ति से लबालब भरा हुआ है। वह गरीब है, उसके पास बेचने के लिए बहुत अधिक चश्मे नहीं होते फिर भी कस्बे के चौराहे पर लगे नेता जी की मूर्ति पर चश्मा नहीं देखता है तो उसका मन दुखी हो जाता है और अपने पास का एक चश्मा नेता जी की मूर्ति को लगा देता है। वह मजबूरी में भी नेताजी के मूर्ति पर चश्मा लगाने का तरकीब लगा लेता है। जब किसी ग्राहक को मूर्ति पर लगे चश्मा पसंद आ जाता है तो वह चश्मा ग्राहक को देकर नेता जी की मूर्ति पर दूसरा चश्मा लगा देता है।